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वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में कदम:: CAQM

 पंजाब, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) राज्यों और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD) ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) द्वारा वायु प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिये रूपरेखा के आधार पर विस्तृत निगरानी योग्य कार्य योजना विकसित की है। 

  • नवगठित आयोग CAQM के पास दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की व्यापक शक्तियाँ हैं।
  • साथ ही हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश (AQGs) जारी किये हैं।


प्रमुख बिंदु:

  • आयोग का ढाँचा: CAQM ने ढाँचे के निम्नलिखित घटकों के आधार पर कार्रवाई के कार्यान्वयन के लिये निर्देश दिये हैं:
    • इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन- कृषि मंत्रालय की CRM (फसल अवशेष प्रबंधन) योजना द्वारा समर्थित।
    • एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन।
    • पराली/फसल अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध।
    • प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन।
    • धान की पराली के उत्पादन को कम करने के लिये योजनाएँ।
    • कार्य योजना के लिये सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ।
  • कार्य योजनाएँ:
    • आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग: पराली जलाने के कारण आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग और निगरानी के लिये इसरो द्वारा विकसित एक मानक प्रोटोकॉल को अपनाना।
    • इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: पूसा बायो-डीकंपोज़र प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग की योजना NCR राज्यों में लागू की गई है।
    • एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन: ताप-विद्युत संयंत्रों में सह-फायरिंग के लिये धान के भूसे के ब्रिकेट्स के उपयोग को बढ़ावा देना।
    • धूल का उपशमनः ‘धूल नियंत्रण एवं प्रबंधन प्रकोष्ठ’ की स्थापना।
      • एक समर्पित वेब-पोर्टल और परियोजनाओं की वीडियो फेंसिंग के माध्यम से निर्माण और विध्वंस की निगरानी करना।
      • निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन और स्क्रीन की स्थापना, धूल-दमनकारी और पानी की धुंध, ढके हुए वाहनों में सामग्री का परिवहन, परियोजना स्थलों में वायु गुणवत्ता निगरानी सेंसर की स्थापना और परियोजना एजेंसियों द्वारा स्व-लेखापरीक्षा एवं प्रमाणन तंत्र प्रमुख कदम हैं। यह निर्माण तथा विध्वंस गतिविधियों से धूल के प्रबंधन की दिशा में बहुत प्रभावकारी है।
    • औद्योगिक प्रदूषण: उद्योगों में पाइप्ड प्राकृतिक गैस (पीएनजी)/स्वच्छ ईंधन को स्थानांतरित करना प्राथमिकता होनी चाहिये।
    • वाहन प्रदूषण: आयोग ने परिवहन क्षेत्र में स्वच्छ प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देने हेतु ‘शून्य उत्सर्जन और ई-वाहनों की खरीद अनिवार्य’ करने के लिये एक सलाह जारी की है तथा शून्य उत्सर्जन वाहनों/ई-गतिशीलता और प्रगति की समीक्षा में धीरे-धीरे बदलाव किया है।
      • दिल्ली के सभी चिह्नित 124 सीमा प्रवेश बिंदुओं को अब कैशलेस टोल/उपकर संग्रह की सुविधा के लिये RFID प्रणाली प्रदान की गई है जिससे सीमावर्ती बिंदुओं पर भारी यातायात और परिणामी भारी वायु प्रदूषण से बचा जा सके।.
    • निगरानी:
      • NCR में एक समर्पित कार्यबल की परिकल्पना की गई है ताकि एक "इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम" (ITMS) विकसित करने सहित सुचारु यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिये नियमित रूप से निगरानी और कदम उठाया जा सके।
      • 10 वर्ष से अधिक पुराने डीज़ल और 15 वर्ष से अधिक पुराने पेट्रोल वाहनों को NCR में परिचालन की अनुमति नहीं है और समय-समय पर प्रगति की समीक्षा की जाती है।
      • लैंडफिल साइटों में बायोमास/नगरपालिका ठोस अपशिष्ट जलाने और आग पर नियंत्रण के लिये राज्यवार कार्य योजना भी तैयार की गई है।
      • साथ ही वायु गुणवत्ता आपातकालीन प्रतिक्रिया के लिये एक निर्णय समर्थन प्रणाली (DSS) की व्यवस्था।

स्रोत: पीआईबी

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