- पृथ्वी के चारों ओर सैकड़ों किलोमीटर की मोटाई में लपेटने वाले गैसीय आवरण को वायुमंडल कहते हैं।
- वायुमंडल विभिन्न गैसों का मिश्रण है और यह पृथ्वी को सभी औरों से ढके हुए हैं।
- इसमें मनुष्यों एवं जंतुओं के जीवन के लिए आवश्यक गैसें जैसे-ऑक्सीजन तथा पौधों के जीवन के लिए कार्बन डाइऑक्साइड मिलते हैं।
- वायु पृथ्वी के द्रव्यमान का अभिन्न अंग है तथा इसके कुल द्रव्यमान का 99% पृथ्वी की सतह से 32 किलोमीटर की ऊंचाई तक विद्यमान हैं है।
- वायु रंगहीन तथा गंधहीन होती है तथा जब यह पवन की भांति बहती है तब हम इसे अनुभव करते हैं।
वायुमंडल का संघटन
- वायुमंडल का निर्माण जलवाष्प, गैसों एवं धूल कणों से होता है।
- वायुमंडल के ऊपरी परतों में गैसों का अनुपात इस प्रकार परिवर्तित होता है जैसे कि 120 किलोमीटर ऊंचाई पर ऑक्सीजन की मात्रा शुन्य हो जाती है।
- कार्बन डाइऑक्साइड एवं जलवाष्प पृथ्वी की सतह से 90 किलोमीटर की ऊंचाई तक ही मिलते हैं।
गैसें
- वायुमंडल में बहुत से प्रकार की गैसे पाई जाती हैं उनमें से कुछ मुख्यता है।
- मौसम विज्ञान की दृष्टि से कार्बन डाइऑक्साइड अति महत्वपूर्ण गैस है।
- क्योंकि यह सौर विकिरण के लिए पारदर्शी है लेकिन आर्थिक पार्थिव विकिरण के लिए अपारदर्शी है।
- यह सौर विकिरण एक अंश को सोख लेती है तथा इसके कुछ अंश को पृथ्वी की सतह की ओर प्रतिबिंबित कर देती है।
- जो ग्रीन हाउस प्रभाव के लिए उत्तरदायी है।
- अन्य गैसों का आयतन स्थिर है जबकि पिछले कुछ वर्षों में मुख्यतः जीवाश्म ईंधन को जलाये जाने की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड के आयतन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
- ओजोन वायुमंडल का अन्य महत्वपूर्ण घटक है
- जो पृथ्वी की सतह से 10 से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के मध्य पाया जाता है।
- यह किसी फिल्टर की भांति कार्य करता है तथा सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर उनको पृथ्वी की सतह पर पहुंचने से रोकता है।
जलवाष्प
- गर्म और आर्द्र उष्णकटिबंधीय में यह वायु के आयतन का लगभग 4% होती है
- जबकि ध्रुवों जैसे ठंडे तथा रेगिस्तानों जैसे शुष्क प्रदेशों में यह वायु के आयतन के 1% भाग से भी कम होती है।
- विषुवत् वृत्त से ध्रुव की तरह जलवाष्प की मात्रा घटती जाती है।
- यह सूर्य से निकलने वाले ताप के कुछ अंश को अवशोषित करती है।
- पृथ्वी से निकलने वाले ताप को संग्रहित करती है इस प्रकार यह एक कंबल की की तरह कार्य करती है।
- यह पृथ्वी को ना तो अधिक गर्म और ना ही अधिक ठंडा होने देती है।
- जलवाष्प वायु को स्थिर तथा अस्थिर रखने में सहायक है।
धूलकण
- वायुमंडल के अतिसूक्ष्म ठोस कणों को भी रखने की क्षमता होती है।
- यह छोटे कारण विभिन्न स्रोतों जैसे-राख, समुद्री नमक, धूल, पराग, महीन मिट्टी, धुए की कालिमा तथा उल्काओं के टूटे हुए कण से निकलते हैं।
- धूल कण सामान्यतः वायुमंडल के निचले भाग में स्थित होते हैं।
- धूल कणों का सर्वाधिक जमाव उपोष्ण कटिबंधीय और शीतोष्ण प्रदेशों में शुष्म हवा के कारण होता है।
- जो विषुवत और द्रव्य प्रदेशों की तुलना में यहां अधिक होता है।
- धूल और नमक के कण आर्द्रताग्राही केंद्र की भांति काम करते हैं जिसके चारों तरफ जलवाष्प संघनित होकर मेघों का निर्माण करती है।
वायुमंडल की संरचना
- पृथ्वी की सतह के निकट घनत्व अधिक होता है जब की ऊंचाई के साथ-साथ यह कम होता जाता है
- तापमान की स्थिति के आधार पर वायुमंडल को पांच विभिन्न परतों में वर्गीकृत किया जाता है।
- यह हैं क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्य मंडल, आयनमंडल, बहिर्मंडल।
क्षोभमंडल
- क्षोभमंडल वायुमंडल का सबसे नीचे का मंडल है।
- सतह से इसकी ऊंचाई लगभग 13 किलोमीटर है तथा यह ध्रुवों के निकट 8 किलोमीटर तथा विषुवत रेखा पर 18 कि॰मी॰ की ऊंचाई तक है।
- विषुवत् रेखा पर क्षोभमंडल की ऊंचाई सर्वाधिक है ।
- क्योंकि ताप का अधिक ऊंचाई तक संवहन किया जाता है।
- इस मंडल में धूलकण तथा जलवाष्प विद्यमान होता है।
- तीव्र वायु प्रवाह के कारण इसी मंडल में मौसम में परिवर्तन होता है।
- इस मंडल में प्रत्येक 165 मी॰ ऊंचाई पर तापमान 1॰ से॰ कम होता जाता है।
- जैविक क्रिया के लिए यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण मंडल है।
समतापमंडल
- क्षोभमंडल और समताप मंडल को पार्थिक करने वाले भाग को क्षोभसीमा कहते हैं।
- विषुवत रेखा के ऊपर क्षोभसीमा में हवा का तापमान -80॰सेल्सियस और ध्रुव के ऊपर -45॰सेल्सियस होता है।
- यहां पर तापमान स्थिर होने की वजह से इसे क्षोभसीमा कहते हैं।
- समताप मंडल इसके ऊपर 50 किलोमीटर की ऊंचाई तक मिलता है।
- इस मंडल में तापमान स्थिर रहता है तथा बाद में ऊंचाई के साथ बढ़ता है।
- समताप मंडल बादल तथा मौसम संबंधी घटनाओं से मुक्त रहता है।
- इस वजह से इस मंडल में हवाईजहाजों को उड़ाया जाता है।
- समताप मंडल का एक महत्वपूर्ण लक्षण इसमें ओजोन परत का मिलना है।
- यह परत पराबैंगनी किरणों को अवशोषित कर पृथ्वी को हानिकारक तत्वों से रक्षा करता है।
मध्यमंडल
- समतापमंडल के ठीक ऊपर मध्यमंडल 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक विस्तृत होता है।
- इस मंडल में भी ऊंचाई के साथ साथ तापमान में कमी होने लगती है।
- यह 80 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंचकर तापमान -100॰ सेल्सियस हो जाता है।
- मध्यमंडल की ऊपरी परत को मध्यसीमा कहां जाता है।
- अंतरिक्ष से आने वाले उल्का पिंड इसी परत में जलते हैं।
आयनमंडल
- आयन मंडल मध्य मंडल के ऊपर 80 से 400 किलोमीटर के मध्य स्थित होता है।
- इसमें विद्युत आवेशित कण मिलते हैं। जो जो आयन कहलाते हैं इसीलिए इसे आयनमंडल के नाम से जाना जाता है।
- इस मंडल के द्वारा पृथ्वी के द्वारा भेजी गई रेडियो तरंगें वापस धरती पर आ जाती हैं।
- यहां पर ऊंचाई में वृद्धि के साथ ही तापमान बढ़ना आरंभ हो जाता है।
बहिर्मंडल
- वायुमंडल के सबसे ऊपरी मंडल जो आयनमंडल के ऊपर स्थित है उसे बहिर्मंडल कहा जाता है
- ये सर्वोच्च मंडल है तथा इसके बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।
- इस मंडल में मौजूद सभी घटक विरल है जो धीरे-धीरे बाहरी अंतरिक्ष में मिल जाते हैं।
- इसमें हिलियम तथा हाइड्रोजन गैसों की अधिकता है।
Mst
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