- प्रथम विश्वयुद्ध का समापन करने वाली प्रधान शांति शर्तों का खाका 1919 में पेरिस में आयोजित एक सम्मेलन में खींचा गया था।
- कई देशों के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्शो में भाग लिया और उनके हितों से प्रत्यक्षतया जुड़े हुए मामलों में उनकी राय ली गई थी।
- शांति की शर्तों के मानदण्ड बड़ी संख्या में तथाकथित 4 के संघ वाली बड़ी शक्तियों द्वारा तय किये गए थे।
- जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति वुडरो विल्सन, ग्रेट ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड लॉयड जॉर्ज, फ्रांस के प्रधानमंत्री जॉर्ज क्इलमांसू, और इटली के प्रधानमंत्री विट्टोरियो आॅरलैंडो शामिल थे।
- पराजित शक्तियों ने समझौतों में भाग नहीं लिया और उन्हें उस ढाॅचे शर्तें स्वीकार करनी थी जिसमें उन्होंने भागी ही नहीं लिया था।
- सोवियत रूस धुरी शक्तियों के साथ ब्रेस्ट-लितोव्स्क किशन की कर मार्च 1918 में युद्ध से हट गया था, का कोई भी प्रतिनिधित्व नहीं था।
शांति संधियां
1919 से 1923 के बीच हुई है विभिन्न संधियों ने अंतिम समझौते का गठन किया। वर्साय की संधि ने जर्मनी के साथ, सेंट जर्मैन की संधि ने ऑस्ट्रेलिया के साथ, नेउइली की संधि ने बल्गेरियाई के साथ, ट्रायनाॅन की संधि ने हंगरी के साथ और सेव्रेस व लुसाने की संधि तुर्की के साथ शांति स्थापित की।
वर्साय की संधि (28 जून 1919)
- वर्साय किशन द युद्ध के 5 वर्ष बाद 28 जून 1919 को हस्ताक्षरित हुई थी।
- संधि की शर्तों के दस्तावेजों में 440 अनुच्छेद में कई प्रतिशिष्ट सम्मिलित थे।
- संधि की शर्ते 7 मई 1919 को घोषित की गई थी जिन्हें स्वीकार करने के अलावा जर्मनी के पास दूसरा कोई चारा नहीं था।
- उत्तर में उत्तरी श्लेजविग डेनमार्क को और पश्चिम में यूपेन व मल्माडी बेल्जियम को और अल्सैशे व लौरेन फ्रांस को मिल गए थे।
- बाल्टिक सागर के साथ वाले पूर्वी प्रशिया की एक छोटी क्षेत्र पट्टी, में मेल,अंततः लिथुआनियाई नियंत्रण के अधीन चली गई थी।
- पोलिश गलियारा व ऊपरी साइलेशिया का भाग परोसें पोलैंड के हाथ लगा था और डैन्जिग का बड़ा बंदरगाह पोलिश कर समझौते के तहत एक मुक्त शहर बन गया था।
- सार कोयला क्षेत्र फ्रांसीसियों को सौंप दिए गए थे जबकि खुद सार को राष्ट्र संघ द्वारा चलाया जाना था।
- राइनलैंड 15 वर्षों के लिए मित्र सैन्य बलों की कब्जे में बनाए रखा गया।
- जर्मनी ने अपने सभी उपनिवेश खो दिये।
- जर्मनी के अफ्रीकी उपनिवेश ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम व दक्षिण अफ्रीका के बीच बट गए।
- सुदूर पूर्व प्रशांत में विषुवत रेखा के उत्तर के उसके उपनिवेश जापान को मिल गए, विषुवत रेखा के दक्षिण के उपनिवेश ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड को चले गए।
- जर्मनी को मित्र सहयोगी शक्तियों की नागरिक जनसंख्या को हुए सभी जान मान के नुकसानों की भरपाई हेतु सहमत होने के लिए विवश किया गया।
- ये हर्जाना भुगतान या क्षतिपूर्ति मूल 14 शर्तो में वर्णित नहीं की गई थी। लेकिन फ्रांस व ब्रिटेन के दवाब पर युद्ध विराम शर्तो में शामिल की जानी थी।
- जर्मनी को 1600 टन से ऊपर के अपने सभी व्यापारिक जहाज व कई छोटे जहाज भी समर्पित करने थे।
- फ्रांस बेल्जियम व इटली को 10 वर्षों तक मुफ्त कोयला देना था।
- जर्मनी की सैन्य ताकत को पंगु बनाने के हर संभव प्रयास किए गए।
- जर्मन सेना की कुल ताकत एक लाख व्यक्तियों तक सीमित कर दी गई।
- सेना में जबरन भर्ती, टैंक, बख्तबंद कारें सभी निषिद्ध कर दिए गए ।
- जर्मनी को सिर्फ 6 युद्धपोत और कुछ छोटे जहाज रखने की अनुमति दी गई लेकिन पनडुब्बी नहीं।
- जर्मनी को नौ सेना 15000 जवानों, छः युद्धपोत( 10,000 टन से अधिक भार वाहन क्षमता रखने वाले नहीं), छः जंगी जहाज़ों (6,000 टन से अधिक क्षमता वाले नहीं),12 ध्वंसक पोतों (200 टन से अधिक विस्थापन करने वाले नहीं) तक सीमित कर दी गई थी।
- हथियारों के आयात व निर्यात और जहरीली गैसों के निर्माण व संग्रह पर पाबंदी थी।
वर्साय की संधि पर जर्मनी की प्रतिक्रिया
- समूचे जर्मनी में रोष था जब संधि की शर्तों को सार्वजनिक किया गया।
- संधि एक डिक्तात( थोपी गई शांति) के नाम से जानी गई क्योंकि यह उन पर जबरन थोपी जा रही थी।
- जर्मनी में कई लोग नहीं चाहते थे कि संधि पर हस्ताक्षर हो लेकिन वहां के प्रतिनिधि जानते थे कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है क्योंकि जर्मन दुबारा युद्ध आरंभ करने में असमर्थ थे।
- जर्मनी को दो विकल्प दिए गए थे ः
उन्होंने संधि पर हस्ताक्षर कर दिए क्योंकि वह युद्ध करने की स्थिति में नहीं थे उनकी सेना छिन्न-भिन्न हो चुकी थी।
- संधि पर हस्ताक्षर करें या
- मित्र राष्ट्र का आक्रमण झेलने के लिए तैयार रहें
सेंट जर्मैन-एन-लाए की संधि(10 सितंबर 1919)
- यह संधि मित्र व सहयोगी शक्तियों और ऑस्ट्रिया के बीच हुई थी।
- इस संधि में 14 खंडवे 381 अनुच्छेद व कई परिशिष्ट शामिल थे।
- संधि की घोषणा के मुताबिक आॅस्ट्रो- हंगेरियाई साम्राज्य को भंग किया जाना था।
- नई ऑस्ट्रिया गणराज्य में जिसमें प्राय पूर्वी ऑस्ट्रियाई साम्राज्य का जर्मन बोलने वाला अल्पाइनी भाग शामिल था।
- हंगरी, पोलैंड, चेकोस्लोवाकिया और स्लोवाकों,क्रोटों व सर्बो कि राज्य की स्वतंत्रता को मान्यता दी।
- संधि में युद्ध के खर्चों के भुगतान के लिए सहयोगियों को निर्देशित, विशाल धनराशि वाली युद्ध ''क्षतिपूर्तियां'शामिल थी।
- ऑस्ट्रिया, इटली को ट्रेन्टिनो, दक्षिण टायराॅल, ट्रियेस्टे, इस्ट्रिया व कई डाल्मेशियाई दीपों और रोमानिया को बुकोविना देकर छोटा हो गया था।
- संधि के एक प्रमुख अनुच्छेद के अनुसार ऑस्ट्रिया राष्ट्रीय संघ परिषद की सहमति के बिना जर्मनी के साथ राजनीति की आर्थिक मिला में शामिल नहीं हो सकता था।
- ऑस्ट्रियाई सेना 30000 स्वयंसेवकों की सैनिक शक्ति पर सीमित कर दी गई थी।
- एक महान साम्राज्य को कई छोटे स्वतंत्र राज्यों में तब्दील करने के लिए डैन्यूबियाई नौपरिवहन, रेलवे के स्थानांतरण के दूसरे विवरणों से संबंधित कई प्रावधान किए गए थे।
नेउइली-सुर-सेइन की संधि ( 27 नवंबर 1919)
- यह संधि बुल्गारिया और मित्र व सहयोगी शक्तियों के बीच हस्ताक्षरित हुई थी।
- इससे बुल्गारिया तुर्की यूनान और सर्बो क्रोटों व स्लोवेनों के राज्यों के बीच विवादित क्षेत्र पर सीमाएं स्थापित हुई।
- इस संधि के मुताबिक बुलगारिया को अपनी सेना 20000 व्यक्तियों पर सीमित करनी थी।
- 400 मिलियन डॉलर से भी अधिक की राशि क्षतिपूर्ति के रूप में चुकानी थी और सर्बो क्रोटों व स्लोवेनों के राज्यों के अस्तित्व को मान्यता देनी थी।
- बुल्गारिया को पश्चिमी थ्रेस यूनान को, मैसीडोनिया का एक भाग युगोस्लाविया को और डोब्रुजा के कुछ भाग रोमेनिया को सौंपने थे।
- बुल्गारिया में संधि के परिणाम द्वितीय राष्ट्रीय महाविपत्ति नाम से अधिक विख्यात हैं।
ट्रियानॉन की संधि (4 जून 1920)
- यह शांति संधि एक ओर हंगरी और दूसरे ओर प्रमुख मित्र वैसे योगी शक्तियों के बीच हस्ताक्षरित हुई थी।
- इसमें 14 खंड 364 अनुच्छेद, कई परिशिष्ट, एक नयाचार(प्रोटोकॉल) व उद्घोषणा शामिल थे।
- इसने हंगरी की सीमाएं निर्धारित की और इसकी अंतरराष्ट्रीय स्थिति को नियंत्रित किया।
- हंगरी ने संधि के तहत अपने क्षेत्रों का दो तिहाई से भी अधिक भाग और अपने निवासियों के लगभग दो तिहाई हिस्से खो दिये।
- इस क्षेत्रीय समायोजन के प्रधान लाभभोगी रोमानिया, चेकोस्लोवाकिया और सर्बो, क्रोटो व स्लोवेनो के राज्य थे।
- यह सेंट एयरमैन की अपेक्षा और अधिक कठोर संधि थी।
सेव्रेस की संधि (10 अगस्त 1920)
- यह संधि तुर्की के सुल्तान और मित्र व सहयोगी शक्तियों के बीच हस्ताक्षरित हुई थी।
- अरब राज्य हेद्जर मुक्त हो गया था और ब्रिटिश नियंत्रणाधीन रखा गया था।
- रोमेनिया जिसने अपने स्वतंत्र घोषित कर दी थी एक साई गणराज्य में परिणत कर दिया गया था और एक अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी के अधीन रखा गया था।
- मैसोपोटामिया, ट्रांस-जॉ्रड और फिलीस्तीन तुर्की से ले लिए गए थे और बाद में शासन अधिकार के साथ ब्रिटिश को दे दिए गए थे।
- सीरिया जिसे तुर्की से ही छीना गया था, फ्रांसीसी शासन अधिकार के अधीन रखा गया था।
- फिलीस्तीन के संबंध में यद्यपि एक शर्त थोपी गई थी यह ब्रिटिश के उस वायदे से संबंधित थी कि फिलीस्तीन में " यहूदी लोगों के लिए एक राष्ट्रीय घर" की स्थापना की जाएगी जिससे बालफोर घोषणा कहा जाता था।
- इस वचनबद्धता ने अंततः इजराइल के यहूदी राज्य की स्थिति को संभव किया।
लुसाने की संधि (24 जुलाई 1923)
- सेव्रेस की संधि की शर्ते सुल्तान द्वारा स्वीकार की गई लेकिन मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा चलाई जा रही एक समानांतर सरकार द्वारा स्वीकृत नहीं हुई।
- वे सेवानिवृत्त होकर अंकारा चले गए और एक प्रतिपक्षी सरकार बनाई व एक विशाल सेना का संगठन भी किया।
- यूनानियों द्वारा मुस्तफा कमाल को हराने के लगातार प्रयास असफल हुए और यूनानियों की एक बड़ी तादाद मारी गई और बचे-खचे एशिया माइनर से निष्कासित कर दिये गये थे।
- फ्रांसीसी व इतालवी सैनिक वहां से वापस बुला लिए गए थे।
- छोटी सी ब्रिटिश सेना अपने पड़ावों पर रह गई थी और इस पर आक्रमण करने के बजाए मुस्तफा कमाल ने संधिवार्ताएं कि जिससे लुसाने की संधि हस्ताक्षरित हुई।
- संधि ने न केवल तुर्की गणराज्य की स्वतंत्रता के लिए बल्कि तुर्की में जातीय यूनानी अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा में खासकर यूनान में जातीय तुर्की मुसलमान अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा के लिए भी अवसर प्रदान किए।
- तुर्की की यूनानी जनसंख्या की एक बड़ी तादाद की अदला-बदली यूनान की तुर्की जनसंख्या के साथ हुई।
- संधि ने यूनान, बुल्गारिया व तुर्की की सीमाएं परिसीमित कर दी, साइप्रस, इराक व सीरिया पर भी तुर्की दावों को औपचारिक रूप से मान लिया और बाद वाले दोनों राज्यों की सीमाएं सुव्यवस्थित कर दी।
- संधि ने मृत ऑटोमन साम्राज्य के उत्तराधिकारी राज्य के रूप में नए तुर्की गणराज्य की संप्रभुता को अंतरराष्ट्रीय मान्यता भी दिलाई।
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DeleteVisit- quiz in hindi -Indian history (भारतीय इतिहास) for ssc,upsc,Ias,pcs related exam
ReplyDeleteभारतीय मृदा (Indian soils)- का वर्गीकरण, प्रकार एवं विशेषताएं- indian geography
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