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Showing posts from September, 2021

जाति आधारित जनगणना

हाल ही में केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में एक हलफनामा/शपथ-पत्र दाखिल कर दावा किया है कि  पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर  है। सरकार का यह अभिकथन महाराष्ट्र राज्य द्वारा  2021 की जनगणना  के दौरान राज्य में पिछड़े वर्गों की जाति के आँकड़ों को एकत्र करने के संदर्भ में दाखिल किये गए एक  रिट याचिका  के प्रत्युत्तर में आया है। प्रमुख बिंदु जाति आधारित जनगणना के विरुद्ध सरकार का रुख:   अनुपयोगी डेटा :  केंद्र ने तर्क दिया कि जब स्वतंत्रता पूर्व अवधि में जातियों की जनगणना की गई थी, तब भी डेटा  "पूर्णता और सटीकता"  के संबंध में प्रभावित हुआ था।  इसमें कहा गया है कि 2011 की  सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना  (SECC)  में दर्ज जाति आधारित आँकड़े/डेटा आधिकारिक उद्देश्यों के लिये  ‘अनुपयोगी’  हैं क्योंकि उनमें तकनीकी खामियाँ अधिक हैं। आदर्श नीति उपकरण का न होना:  सरकार ने कहा कि जातिवार जनगणना की  नीति 1951 में  छोड़ दी गई थी। इसके अलावा केंद्र ने स्पष्ट किया कि जनसंख्या जनगणना  "आदर्श साधन नहीं  है क्योंकि अधिकांश लोग  अपनी जाति को छिपाने के उद्द

वायु प्रदूषण को कम करने की दिशा में कदम:: CAQM

  पंजाब,  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR)   राज्यों  और  राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (GNCTD)  ने  वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM)  द्वारा  वायु प्रदूषण  की समस्या से निपटने के लिये रूपरेखा के आधार पर  विस्तृत निगरानी योग्य कार्य योजना  विकसित की है।  नवगठित आयोग  CAQM  के पास दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने की व्यापक शक्तियाँ हैं। साथ ही हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने नए   वैश्विक वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देश (AQGs)  जारी किये हैं। प्रमुख बिंदु: आयोग का ढाँचा:  CAQM ने ढाँचे के निम्नलिखित घटकों के आधार पर कार्रवाई के कार्यान्वयन के लिये निर्देश दिये हैं: इन-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन - कृषि मंत्रालय की  CRM  (फसल अवशेष प्रबंधन) योजना द्वारा समर्थित। एक्स-सीटू फसल अवशेष प्रबंधन। पराली/फसल अवशेषों को जलाने  पर प्रतिबंध। प्रभावी निगरानी/प्रवर्तन। धान की पराली के उत्पादन को कम करने के लिये योजनाएँ। कार्य योजना के लिये सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियाँ। कार्य योजनाएँ: आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग:  पराली जलाने के कारण आग की घटनाओं की रिकॉर्डिंग और निगरानी

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- डार्क एनर्जी

शोधकर्त्ताओं की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने पहली बार डार्क एनर्जी का प्रत्यक्ष रूप से पता लगाया है। XENON1T नाम का यह प्रयोग, विश्व का सबसे संवेदनशील डार्क मैटर प्रयोग है, इस प्रयोग को इटली में आई.एन.एफ.एन लेबोरेटरी नाज़ियोनाली डेल ग्रेन सासो (INFN Laboratori Nazionali del Gran Sasso) में भूमिगत रूप से संचालित किया गया था। डार्क एनर्जी ऊर्जा का एक रहस्यमय रूप है जो ब्रह्मांड के लगभग 68% हिस्से का निर्माण करती है और दशकों से भौतिकविदों एवं खगोलविदों के कौतुहल का विषय बनी हुई है।  प्रमुख बिंदु  प्रयोग के बारे में: XENON1T एक डार्क मैटर रिसर्च प्रोजेक्ट है, जो इटैलियन ग्रेन सासो नेशनल लेबोरेटरी में संचालित (Italian Gran Sasso National Laboratory) है। यह एक गहरी भूमिगत अनुसंधान सुविधा है जिसकी विशेषता प्रयोगों द्वारा तीव्रता के साथ महत्त्वाकांक्षी डार्क मैटर कणों का पता लगाना है। इन प्रयोगों का उद्देश्य लिक्विड क्सीनन टारगेट चैंबर (Liquid Xenon Target Chamber) में परमाणु रिकोइल के माध्यम से दुर्लभ अंतःक्रियाओं द्वारा कमज़ोर इंटरैक्टिंग मैसिव पार्टिकल्स (Weakly Interacting Massive Particles- WI

क्वाड देशों की पहली इन-पर्सन बैठक

अमेरिका में  ‘क्वाड’  नेताओं की पहली इन-पर्सन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक के दौरान सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 महामारी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र की चुनौतियों जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। प्रमुख बिंदु पृष्ठभूमि गौरतलब है कि नवंबर 2017 में भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों को किसी भी प्रभाव से मुक्त रखने के लिये एक नई रणनीति विकसित करने हेतु लंबे समय से लंबित ‘क्वाड’ की स्थापना के प्रस्ताव को आकार दिया था। चीन लगभग संपूर्ण विवादित  दक्षिण चीन सागर  पर अपना दावा करता है, जबकि ताइवान, फिलीपींस, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम भी इसके कुछ हिस्सों पर अपना दावा करते हैं। दक्षिण चीन सागर, पश्चिमी प्रशांत महासागर का एक हिस्सा है। वर्ष 2020 में त्रिपक्षीय भारत-अमेरिका-जापान  मालाबार नौसैनिक अभ्यास  में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल किया गया था, जो कि वर्ष 2017 में क्वाड के पुनरुत्थान के बाद से इसके पहले आधिकारिक समूह को चिह्नित करता है। इसके अलावा यह एक दशक में चार देशों के बीच पहला संयुक्त

विद्युत संबंधी योजनाओं के लिये ज़िला स्तरीय समितियाँ

हाल ही में विद्युत मंत्रालय ने देश में विद्युत आपूर्ति की गुणवत्ता में सुधार के लिये ज़िला स्तरीय समितियों के गठन का आदेश जारी किया है। प्रमुख बिंदु ज़िला स्तरीय समितियाँ : परिचय : सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को विद्युत मंत्रालय को सूचित करते हुए इन ज़िला विद्युत समितियों की स्थापना को अधिसूचित और सुनिश्चित करना होगा। यह सरकार की सभी विद्युत संबंधी योजनाओं और लोगों को सेवाओं के प्रावधान पर इसके प्रभाव की निगरानी करेगा। इसकी तीन माह में कम-से-कम एक बार ज़िला मुख्यालय पर बैठक होगी। संघटन : समिति में ज़िले के सबसे वरिष्ठ संसद सदस्य (MP) अध्यक्ष के रूप में, ज़िले के अन्य सांसद सह-अध्यक्ष के रूप में, ज़िला कलेक्टर सदस्य सचिव के रूप में शामिल होंगे। भारत में विद्युत क्षेत्र : परिचय : भारत का विद्युत् क्षेत्र दुनिया के सबसे विविध क्षेत्रों में से एक है। विद्युत उत्पादन के स्रोत पारंपरिक स्रोतों जैसे- कोयला, लिग्नाइट, प्राकृतिक गैस, तेल, जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा से लेकर पवन, सौर एवं कृषि तथा घरेलू कचरे जैसे व्यवहार्य गैर-पारंपरिक स्रोतों तक हैं। भारत दुनिया में विद्युत का तीसरा सबसे बड़ा उत्