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Showing posts from August, 2019

भूगोल- पृथ्वी की आंतरिक संरचना

पृथ्वी की आंतरिक संरचना शल्कीय है। इन परतो की मोटाई का सीमांकन रसायनिक अथवा यांत्रिक विशेषताओं के आधार पर किया जाता है पृथ्वी के धरातल का विन्यास मुख्यतः पृथ्वी के आंतरिक भाग में होने वाले प्रक्रियाओं के फलस्वरुप है। पृथ्वी की आंतरिक जानकारी के स्रोत पृथ्वी की त्रिज्या लगभग 6370 किलोमीटर है। पृथ्वी की आंतरिक परिस्थितियों की वजह से यह संभव नहीं है कि कोई पृथ्वी के केंद्र तक पहुंचकर उसका निरीक्षण तथा वहां के पदार्थ का नमूना प्राप्त कर सकें। पृथ्वी की आंतरिक संरचना के संदर्भ में हमारी ज्यादातर जानकारी और ओक्स रूप से प्राप्त अनुमानों पर आधारित है। फिर भी इस जानकारी का कुछ भाग प्रत्यक्ष प्रक्षणों और पदार्थों के विश्लेषण पर भी आधारित हैं। प्रत्यक्ष स्रोत खनन  खनन प्रक्रिया से धरातलीय चट्टानों की जानकारी प्राप्त होती है। अभी तक का सबसे गहरा प्रवेधन (Drill) आर्कटिक महासागर में कोयला क्षेत्र में 12 कि॰मी॰ की गहराई तक किया गया है। इससे अधिक गहराई में जा पाना संभव नहीं है। अधिक गहराई पर तापमान भी अधिक होता है। ज्वालामुखी ज्वालामुखी प्रत्यक्ष जानकारी का ए

इतिहास- शीत युद्ध( 1947-1987)

1945 में मित्र शक्तियों संयुक्त राष्ट्र, सोवियत संघ, ब्रिटेन व फ्रांस ने जर्मनी, इटली व जापान की शक्तियों को हराया था। उसके उपरांत सोवियत संघ एवं संयुक्त राष्ट्र अमेरिका दो सर्वाधिक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभर का सामने आए। धीरे धीरे यह दो गुटों में विभाजित हो गए। इसमें पश्चिमी क्षेत्र का नेतृत्व संयुक्त राष्ट्र व पूर्वी क्षेत्र का नेतृत्व संयुक्त संघ द्वारा किया गया। वैचारिक स्तर पर शीघ्र ही दोनों गुटों में एक 'अघोषित युद्ध' छिड़ गया। दोनों गुट विदेश नीति के द्वारा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के द्वारा तथा समाचार पत्रों के द्वारा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप करने लगे। इस अघोषित युद्ध को ही शीत युद्ध के रूप में जाना जाता है । सोवियत संघ व संयुक्त राष्ट्र में किसी सैनिक मतभेद की जगह नहीं थी यह एक वैचारिक युद्ध की स्थिति थी। शीत युद्ध के कारण शीत युद्ध के पैदा होने या उसके ठीक ठीक कारण को लेकर विद्वानों में सर्वसम्मति नहीं है। उनमें से कुछ के अनुसार 1917 की बोल्शेविक क्रांति उसका कारण थी। दूसरों विद्वानों के अनुसार 1945 के सम्मेलन में विश्व की तीन शक्